वेद, पुराण, रामायण, महाभारत आदि ग्रंथों में नृत्य का उल्लेख मिलता हैं।

कथक उत्तर भारत का एक मात्र शास्त्रीय नृत्य है।कथक शब्द की उत्पत्ति 'कथा' शब्द से हुई है।
जिसका अर्थ एक कहानी है।जिसका उल्लेख 4th सेंचुरी BC से 3rd सेंचुरी BC (मौर्यकाल) में भी पाया जाता है।
प्राचीन काल में मंदिरों में विभिन्न मुद्राओं और संगीत के माध्यम से महाकाव्यों की उपकथाओं के विस्तृत आधार पर कहानियों का वर्णन करते हुए कथक की प्रस्तुति होती थी।
इस नृत्य में तबला-पखावज से संगति की जाती है।

जो आपको शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है।
मंच के डर पर काबू पाने में मदद करता है। ध्यान केंद्रित करने की आपकी क्षमता को बढ़ाता है।
आपको एक अच्छा टीम वर्कर बनाता है। आपके दिमाग को तेज बनाता है।
आपके भावों को बेहतर बनाने में मदद करता है।
आपको भारतीय संस्कृति और विरासत के नजदीक रहने में मदद करता है ।
आपको एक बेहतर कहानीकार बनाता है।
एक उत्कृष्ट छात्र वही होता जो गुरु द्वारा दिया गया शिक्षण इतना त्वरित ग्रहण करे के गुरु को उसे ज्यादा से ज्यादा शिक्षा देने की इच्छाशक्ति हो।
गोतीर्थ विद्यापीठ की छात्राओ के साथ मुझे हमेशा यही अनुभूति हुई है।
जो आज के इस समय में काफी दुर्लभ दिखाई देती है।



