प्राचीन भारत में मनुष्य स्वयं और प्रकृति के कल्याण हेतु नित्य-कर्म किया करते थे।
गो-तीर्थ विद्यापीठ ने आज पुनः उन वैदिक नित्य क्रिया को आचरण में लाया है।
हमारे गुरुकुल के विद्यार्थी नित्य सूर्योदय के समय अग्निहोत्र करते हैं और सूर्यास्त के समय सम्मिलित अग्निहोत्र करते है।
इसके परिणाम स्वरुप उनको शारीरिक स्वस्थता, मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक गति की प्राप्ति होती है,
वातावरण शुद्ध होता है, नकारात्मकता की समाप्ति होती है और सकारात्मकता की निरंतर वृद्धि होती है।
गो-तीर्थ विद्यापीठ, बंसी गीर गौशाला तथा सूर्यन आर्गेनिक परिवार आप से अनुरोध करती है की शुद्ध देसी एवं वैदिक घी,
गौमाता के गोबर के कंडे और जैविक अक्षत (चावल) से नित्य आप भी अपने प्रिय जनो के साथ अग्निहोत्र करें।